शिकायतों की जाँच कराए जाने पर चार ग्राम पंचायत सचिव पाए गए दोषी
इस मामले में संयुक्त संचालक समेत 6 अधिकारी और कर्मचारी पूर्व में भी हो चुके हैं निलम्बित
विशेष संवाददाता, रीवा
नगर परिषद डभौरा का गठन आसपास की ग्राम पंचायतों के संविलियन से हुआ है। नवगठित नगर परिषद डभौरा में पंचायतकालीन कर्मियों का नियम विरूद्ध संविलियन किया गया। इस संबंध में प्राप्त शिकायतों की जाँच कराए जाने पर तत्कालीन चार ग्राम पंचायत सचिव दोषी पाए गए।
बताया गया है कि ग्राम पंचायत के कर्मचारियों के संविलियन के संबंध में गलत जानकारी देने पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ सौरभ सोनवणे ने तत्कालीन चार ग्राम पंचायत सचिवों को निलंबित करने के आदेश दिए हैं। इन सभी का मुख्यालय जनपद पंचायत कार्यालय जवा निर्धारित किया गया है। इन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। यह कार्यवाही मध्यप्रदेश पंचायत सेवा अनुशासन तथा अपील नियम 1999 के प्रावधानों के तहत की गई है।
जारी अलग-अलग आदेशों के अनुसार तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव अकौरिया श्रीमती सुशीला दीक्षित वर्तमान पदस्थापना ग्राम पंचायत उसकी तथा तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव पनवार परशुराम तिवारी वर्तमान पदस्थापना ग्राम पंचायत कंचनपुर को निलंबित करने के आदेश दिए गए हैं। इसी तरह तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव गेंदुरहा रामराज सेन वर्तमान पदस्थापना ग्राम पंचायत घूमन तथा तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव मगडौर कामता प्रसाद कोल वर्तमान पदस्थापना जनपद कार्यालय जवा को भी निलंबित करने के आदेश दिए गए हैं।
क्या है मामला
जिले की डभौरा नगर परिषद में पंचायत कर्मियों के संविलियन के मामले में गड़बड़ी पर नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने रीवा में पदस्थ संयुक्त संचालक समेत छह अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था। इन पर आरोप है कि पंचायत कर्मियों का नियम विरुद्ध संविलियन कर दो करोड़ पांच लाख रुपये से अधिक की आर्थिक क्षति सरकार को पहुंचाई गई। दोष साबित होने के बाद प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन और आवास के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई थी इसके अलावा कुछ पंचायत कर्मियों को भी इस मामले में जिम्मेदार पाया गया है, जिन पर कार्रवाई के लिए रीवा जिला पंचायत के सीईओ को निर्देशित किया गया था।
6 साल पूर्व का है प्रकरण
6 साल पहले प्रदेश सरकार द्वारा जिले में ग्राम पंचायत डभौरा को नगर परिषद का दर्जा देने की घोषणा की गई थी। साल 2018 में शासन द्वारा जिले की अकोरिया, मगडौर, गेदुरहा, कोटा, पनवार और लटियार ग्राम पंचायतों को मिलाकर डभौरा को नगर परिषद का गठन किया गया था। नगर परिषद का दर्जा मिलने के बाद पंचायत विभाग के कर्मचारियों का नगरीय प्रशासन विभाग में संविलियन किया गया। इसके लिए पंचायतों के पात्र 50 कर्मचारियों की सूची तैयार की गई। इसका परीक्षण कर तत्कालीन प्रशासक ने छानबीन समिति की अनुशंसा के साथ इसे संयुक्त संचालक रामेश्वर प्रसाद सोनी को सौंप दिया। सूची में पहले नंबर पर सोनी के पुत्र आशीष सोनी का नाम था। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में संयुक्त संचालक जैसे अहम पद पर होने के बाद भी सोनी ने संविलियन को स्वीकृति दे दी। साल 2021 में छानबीन समिति की बैठक के दौरान सूची में दर्ज कर्मचारियों को 7वें वेतनमान पर संविलियन की अनुशंसा की गई। इस सूची में 32वें नंबर पर भी आशीष सोनी का नाम दर्ज था। समिति की बैठक के बाद तत्कालीन प्रभारी सीएमओ केएन सिंह के जरिए विभाग से संविलियन की मांग की गई। इसके लिए संयुक्त संचालक के निर्देशन में चयन समिति बनी, जिसमें नईगढ़ी नगर परिषद के तत्कालीन सीएमओ संजय सिंह भी शामिल थे। इसके बाद अधिकारियों की मिलीभगत से कर्मचारियों का संविलियन कर लिया गया।
पंचायत विभाग के कर्मचारियों के संविलियन में गड़बड़ी की शिकायत पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा जांच कराई गई। इसमें संयुक्त संचालक सोनी द्वारा नियम विरुद्ध अपने पुत्र आशीष सहित अन्य कर्मचारियों का संविलियन करने का मामला उजागर हो गया। विभाग की जांच समिति ने अनियमितता के लिए तत्कालीन संयुक्त संचालक रामेश्वर प्रसाद सोनी, तत्कालीन डभौरा सीएमओ केएन सिंह, तत्कालीन नईगढ़ी सीएमओ संजय सिंह व अन्य की भूमिका और लिप्तता पाई। इस नियम विरुद्ध संविलियन से विभाग को दो करोड़ रुपये से ज्यादा राशि का भी नुकसान पहुंचा है। समिति ने इसके लिए सीधे तौर पर संयुक्त संचालक सोनी को जिम्मेदार माना।
इस जांच के आधार पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त भरत यादव ने अनियमितता के लिए जिम्मेदार संयुक्त संचालक रामेश्वर प्रसाद सोनी, चाकघाट नगर परिषद सीएमओ संजय सिंह, नगर परिषद गुढ़ सीएमओ केएन सिंह, मुनेंद्र पांडे सहायक ग्रेड-1 डभौरा, सतीश कुमार द्विवेदी सहायक राजस्व निरीक्षक डभौरा, स्वच्छता उपनिरीक्षक अंकुश सिंह बघेल को निलंबित कर दिया है। वहीं पंचायत विभाग में मूल रूप से सचिव पद पर होने के चलते एमएल साकेत लेखापाल, सुशीला दीक्षित, रामराज सेन, कामता कोल, दिनेश पांडेय और परशुराम तिवारी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के निर्देश रीवा जिला पंचायत सीईओ को दिए गये।