शिवेंद्र तिवारी



सुनील छेत्री: भारतीय फुटबॉल के चमकते सितारे ने कहा अलविदा भारतीय फुटबॉल के महान खिलाड़ी सुनील छेत्री ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। उनके करियर का आखिरी मैच कुवैत के खिलाफ खेला गया, जो 1-1 की ड्रॉ पर समाप्त हुआ। इस ऐतिहासिक क्षण ने भारतीय फुटबॉल में एक युग का अंत कर दिया है। सुनील छेत्री का जन्म 3 अगस्त, 1984 को सिकंदराबाद में हुआ था। उनके पिता, केबी छेत्री, सेना में कार्यरत थे, जबकि उनकी मां, सुशीला, नेपाल की नेशनल फुटबॉल टीम की खिलाड़ी रह चुकी हैं। सुनील को 2021 में खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 2019 में पद्म श्री और 2011 में अर्जुन पुरस्कार मिला। अपने करियर के दौरान, उन्होंने छह बार एआईएफएफ प्लेयर ऑफ द ईयर अवॉर्ड जीता। सुनील छेत्री ने 2005 में भारतीय सीनियर फुटबॉल टीम में डेब्यू किया और बाईचुंग भूटिया के बाद टीम के कप्तान बने। करियर की शुरुआत और सफलता सुनील छेत्री ने 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने जल्दी ही अपनी पहचान बना ली और भारतीय फुटबॉल टीम के महत्वपूर्ण सदस्य बन गए। छेत्री ने अपने करियर में 100 से अधिक गोल किए और भारत के सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने। उन्होंने न केवल अपने शानदार खेल से भारतीय फुटबॉल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, बल्कि युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा भी बने। छेत्री ने भारतीय फुटबॉल को कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दिलाई हैं। उनके नेतृत्व में भारत ने सैफ चैंपियनशिप और एएफसी चैलेंज कप जैसे टूर्नामेंट जीते। 2011 में, छेत्री ने एएफसी एशियन कप में भारत की कप्तानी की, जहां उन्होंने अपने शानदार खेल से सबका दिल जीता। आखिरी मैच और संन्यास की घोषणा कुवैत के खिलाफ खेले गए अपने आखिरी मैच में, छेत्री ने अपने करियर का अंतिम गोल किया और मैच 1-1 की ड्रॉ पर समाप्त हुआ। मैच के बाद, छेत्री ने अपने संन्यास की घोषणा की और कहा, “यह मेरे लिए एक भावनात्मक क्षण है। मैं अपने देश के लिए खेलने के हर पल को संजो कर रखूंगा।”
सुनील छेत्री ने अपने संन्यास के बाद अपने भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि वे भारतीय फुटबॉल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काम करेंगे और युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। छेत्री ने अपने प्रशंसकों का आभार व्यक्त किया और कहा, “आप सभी के समर्थन के बिना मैं यह सब नहीं कर पाता। मैं हमेशा आपके समर्थन के लिए आभारी रहूंगा।” भारतीय फुटबॉल पर छेत्री का प्रभाव सुनील छेत्री का भारतीय फुटबॉल पर प्रभाव अद्वितीय रहा है। उनके समर्पण, मेहनत और खेल के प्रति जुनून ने भारतीय फुटबॉल को एक नई दिशा दी है। उन्होंने न केवल मैदान पर बल्कि मैदान के बाहर भी खिलाड़ियों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनके नेतृत्व में, भारतीय फुटबॉल ने न केवल एशिया में बल्कि विश्व स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। सुनील छेत्री का संन्यास भारतीय फुटबॉल के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन उनके द्वारा स्थापित मानदंड और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। भारतीय फुटबॉल में उनकी भूमिका और उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा प्रेरणा के रूप में जीवित रहेंगे।