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बेस वोट गायब हो चुका है बहुजन समाज पार्टी का जहां से पहले बनते थे विधायक, वही वजूद सिमट सा गया

बसपा भी नहीं बचे दमदार नेता, परिणाम यह हुआ कि चुनावी प्रभाव लगभग खत्म सा
चुनाव के पहले भरते थे जीत का दम, लेकिन हर जगह वोट मिले बहुत कम

अनिल त्रिपाठी, रीवा

बहुजन समाज पार्टी का खौफ अब खत्म सा होता दिखाई देने लगा है। पिछले चुनावों तक ऐसा प्रतीत हो रहा था कि पार्टी जीते या न जीते लेकिन नतीजे पर अपना प्रभाव जरुर डाल देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी को बहुत ही कम मत मिले। ऐसे में पार्टी के वजूद पर भी संकट नजर आता दिखाई देने लगा है।
यहां यह भी गौरतलब है कि वर्ष 1989 के बाद हुए लोकसभा चुनाव में यानी की 35 साल के चुनाव इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब बहुजन समाज पार्टी का कोई सदस्य लोकसभा में नहीं दिखाई देगा। उत्तर प्रदेश में बसपा की हालत हद से ज्यादा खस्ता होने के बाद अब मध्य प्रदेश के जिन इलाकों में पार्टी की मौजूदगी दमदार हुआ करती थी वहां भी वह हांफने लगी है। रीवा लोकसभा सीट से तीन बार बहुजन समाज पार्टी को संसद देने वाली रीवा की जनता ने इस बार बुरी तरह नकार दिया है। जिन विधानसभा क्षेत्र से कई कई बार बहुजन समाज पार्टी के विधायक चुने गए थे उन विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की हालत काफी दयनीय दिखाई दी। इससे यह स्पष्ट होने लगा है कि बहुजन समाज पार्टी का बेस वोट बैंक पूरी तरह से खिसक सा चुका है। बसपा की सोशल इंजीनियरिंग भी पूरी तरह से फेल दिखाई देने लगी है। अगर यह कहां जाए कि इस बार के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की अपीलों का कोई असर नहीं हुआ तो गलत नहीं कहा जा सकता।
लोकसभा चुनाव के दौरान बहुजन समाज पार्टी को 1 लाख़ 17 हजार 411 मत ही प्राप्त हो सके हैं। यानी की भाजपा के विजई उम्मीदवार से 75 फ़ीसदी कम और दूसरे क्रम के निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी से 60 फ़ीसदी से कम मत प्राप्त हो सके हैं। जबकि इस बार के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों यह आकलन कर रही थी कि इस बार बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक बढ़ सकता है और वह चुनाव परिणाम में भी असर डाल सकता है। लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों ने अपने-अपने तरीके से अलग-अलग तैयारी की थी। लेकिन जब परिणाम आए तो वह काफी चौंकाने वाले थे। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बहुजन समाज पार्टी को जितने मत मिले थे अगर उसका आकलन किया जाए तो लोकसभा चुनाव में वह पूरी तरह से उलट गए और 4 महीने बाद ही उन्हीं क्षेत्रों में 25 फ़ीसदी से कम मत मिले। उल्लेखनीय है कि सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के दौरान 40000 से ज्यादा वोट मिले थे लेकिन लोकसभा चुनाव में वह घटकर 11411 मत में सिमट गए। सेमरिया विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को 45000 से ज्यादा वोट मिले थे लेकिन लोकसभा चुनाव में वह केवल 16297 तक ही पहुंच सके। त्यौंथर विधानसभा क्षेत्र की भी यही स्थिति रही पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान यहां के प्रत्याशी को लगभग 30000 वोट मिले थे लेकिन लोकसभा चुनाव में वह मत घटकर केवल 10707 पर सिमटते दिखाई दिए। बहुजन समाज पार्टी को मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में 12055, देव तालाब विधानसभा क्षेत्र में 18884 और मन गवा विधानसभा क्षेत्र में 21008 मत मिल पाए है। उधर गुढ़ विधानसभा क्षेत्र में 17762 मत मिले जबकि रीवा विधानसभा क्षेत्र में केवल 8965 मतों से संतोष करना पड़ा। यानी कि हर जगह स्थिति दमा डोल ही रही है।
प्राप्त मतों पर एक नजर
सिरमौर 11411
सिमरिया 16 297
त्यौंथर 10707
मऊगंज 12055
देव तालाब 18884
मनगवा 21008
रीवा 8965
गुढ़ 17762

डाक मत 132

कुल मत 1,17, 089

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