शिवेंद्र तिवारी

खूबसूरती, खूबसूरती एक ऐसा तोहफा है जो हर कोई अपने साथ लेकर पैदा होता है। ये किसी भी चीज़ में हो सकती है। अगर नेचर की बात करें तो वो ब्यूटी कहलाता है। इंसानों की बात करें तो वो गुड लुक्स कहलाता है। और अगर किसी अन्य फील्ड या स्पोर्ट्स कि बात करें तो उसे टैलेंट का दर्जा दिया जाता है। खूबसूरती हर किसी को पसंद होती है। तभी तो आईपीएल के कैमरामैन भी सुंदर लड़कियों पर बार बार फोकस करता है। लेकिन क्या आपने कभी किसी सुंदर लड़की को ख़ुद ही अपने चेहरे पर तेज़ाब डालते हुए देखा है। अरे ये कैसा वाहियात सवाल है। यही आया होगा न आपके मन में। साथ ही ये जवाब, कि वो कौन मूर्ख हो सकता है। कोई बेवकूफ ही होगा जो अपनी खूबसूरती को खुदी खराब करेगा। लेकिन स्पोर्ट्स में ऐसा नहीं है। क्रिकेट में कई गॉड गिफ्टेड टैलेंट आए। जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत बिल्कुल ड्रीम के माफिक की था। जिनके खेल में खूबसूरती यानी उनमें टैलेंट तो भरपूर था। और क्रिकेट पंडितों ने उन्हें नेक्स्ट बिग थिंग तक मान लिया था। उनमें दम खम भी पूरी दुनिया के फैंस के दिलों में राज करने का था। सफ़लता की बुलंदियों पर पहुंच एक बड़ा खिलाड़ी बनने का वो रास्ता उनके सामने था। लेकिन उन्होंने कभी अपने टैलेंट की कद्र नहीं की और खुदी अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार उन्होंने अपनी काबिलियत का गला घोट दिया। इन खिलाड़ियों ने कभी अपनी शक्तियों का सही उपयोग ही नहीं किया।
5.आंद्रे रसल: 70 –80 के दशक की वेस्टइंडीज बॉलिंग लाइन अप किसी भी टीम, किसी भी बड़े खिलाड़ी के लिए नाइटमेयर हुआ करती थी। लेकिन एक बार ये दौर गया, वो दिग्गज रिटायर हुए, उनकी लेगेसी को आगे किसी खिलाड़ी ने न संभाला और ये टीम बुरी तरह से बिखर गई। और लगा कि अब वो फास्ट बॉलिंग फिर देखने को नहीं मिलेगी। लेकिन तभी एक जोशीला, एक कमाल की फिजिक वाला बॉलर आया जो 150 से गेंद डाला करता और बैटिंग भी जबरदस्त करता।अपने कैरियर की शुरूआत में वेस्टइंडीज के लिए कई शानदार पारियां खेल उसने खूब नाम कमाया और अक्सर हमें सुनने को मिला आंद्रे अंदर गेंद बाहर। लेकिन फिर आंद्रे रसल की ईगो इस कदर बढ़ गई कि उन्हें देश से ऊपर पैसे प्रिय हो गए। अपने टैलेंट और कैरियर की नुमाइश कर उन्होंने विश्व भर, जगह जगह की बड़ी छोटी लीग खेलना शुरू कर दिया और देश के लिए साफ इंकार कर दिया। टैलेंट की तो उनमें कभी कोई कमी थी ही नहीं, उनके जैसी पावर , बिग हिटिंग भी अधिक देखने को नहीं मिलती।लेकिन रसल शायद ये भूल गए कि फ्रेंचाइजी क्रिकेट आपको सिर्फ चंद रातों का फेम, दोलत दे सकती है। स्टार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलकर ही बनते हैं, कुछ बड़ा नाम बनाना है तो देश के लिए खेलना होता है। माना वेस्टइंडीज बोर्ड की घटिया पॉलिटिक्स ने उन्हें ठीक से मैनेज हैंडल नहीं किया। लेकिन रसेल ने भी ख़ुद के टैलेंट का सत्यानाश कर दिया। गेम में सुधार करना तो दूर, उन्होंने ख़ुद को केवल वन डाइमेंशनल प्लेयर बनाकर रख दिया, जिसके पास न ही अब कंसिस्टेट पेस है, न ही कुछ खास बैटिंग।10 में कभी एक मैच में चल गए तो ठीक, वरना बिलो एवरेज। इसीलिए कहते हैं कि टैलेंट बिना हार्डवर्क के 0 है। इसी तरह रसल ने अपने टैलेंट का गला घोट सिर्फ पैसों से प्यार किया। और फ्रेंचाइजी क्रिकेट के सानिध्य में रहकर, एक इंटरनेशनल लेजेंड और टॉप ऑलराउंडर बनने के मौके को गंवा दिया। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर तो लगभग खत्म हो चुका है। और उनका फीका परफॉर्मेंस देख फ्रेंचाइजी कैरियर भी कुछ ही समय का बचा है। ये कहना गलत नहीं होगा कि रसल ने अपने टैलेंट और कैरियर का खुद सत्यानाश कर दिया।
4.विनोद कांबली: शेन वॉर्न, जो स्पिन के सबसे बड़े जादूगर थे। उनके जैसा टैलेंट न ही किसी प्लेयर में पहले था, न ही आगे होगा। जो 0 हेल्प वाली पिच पर भी एलियन स्पिन करा दिया करते। लेकिन एक प्लेयर था जिसने इनकी भी नाक में दम तोड़ दिया था। उनके एक एक ओवर में 22 रन ठोक दिए थे। ये वो खिलाड़ी था जिसका ऐवरेज सचिन, विराट से कहीं आगे था। जिसने अपने कैरियर में 2 इनिंग्स में लगातार दोहरे शतक और 3 पारियों में लगातार 3 टेस्ट शतक ठोक दिए थे। जिसे अपने बचपन के दोस्त सचिन से भी अधिक टैलेंटेड माना जाता था। जी हां, विनोद कांबली। वो नाम जो 90’s में क्रिकेट गलियारों में हर फैन, हर बच्चे की ज़ुबान पर था। इतना टैलेंट था इस खिलाड़ी में, जिसकी कोई तुलना नहीं। लेकिन उनका एटीट्यूड और बिहेवियर उनके टैलेंट के बिल्कुल विपरीत थे। जो उनको ले डूबा। जिसने उनकी गेम भी बिगाड़ के रख दी। ताबूत में कील ठोकने का काम किया उनकी शॉर्ट बॉल कमज़ोरी ने। उन्होंने इसमें कभी सुधार नहीं किया। नो फीट मोमेंट, और रेश शॉट्स। जहाँ तेंदुलकर ने दबाके हार्डवर्क और अपनी स्किल फिटनैस पर काम किया, वहीं कांबली वो शख्स थे जो आई एम परफेक्ट वाले एटीट्यूड से अपनी गेम ख़राब कर अय्याशी करने में जुट गए। ये ही उनके डाउनफॉल की सबसे बड़ी वजह थी जिसने उस प्लेयर का करियर खा लिया जिसने उन्हें कभी क्रिकेट का सबसे बड़ा सुपरस्टार, लीजेंड बनने ही न दिया। और उनका करियर केवल 17 टेस्ट और 105 एकदिवसीय (One Day) में सिमट कर रह गया। उनकी शराब की आदत, रात को पार्टियां करने की लत और बेड एटीट्यूड ने 20–25 हज़ार इंटरनेशनल रन वाले पोटेंशियल के प्लेयर को सिर्फ 3.5 हजार रनों तक सीमित कर दिया। अपने पतन का कारण और दोषी विनोद कांबली ख़ुद हैं।
- सुनील नरेन: जब वेस्टइंडीज के मिस्ट्री स्पिनर सुनील नरेन ने डेब्यू किया था तो काफ़ी सुर्खियाँ बटोरी थी। विश्व क्रिकेट में उन्होंने सनसनी मचा दी थी। क्या भारत, क्या ऑस्ट्रेलिया, क्या इंग्लैंड, नरेन के स्पिन की गुत्थी सुलझाने में सभी देशों के प्रीमियर बल्लेबाज भी नाकाम रहे थे। अपनी मिस्ट्री बॉल और कारगर औजार नकल बॉल से उन्होंने काफ़ी सफलता पाई। और विश्वभर के क्रिकेट पंडितों और फैंस को अत्यधिक मंनोरंजन देने वाले इस खिलाड़ी ने अपने एकछत्र राज से स्पिन गेंदबाजी को फिर से जीवंत कर दिया था। लेकिन फिर वही हुआ जिस सबका हमें डर था। एक बार नहीं बार बार। और वो भी तब,जब नरेन अपने करियर की पीक पर थे,और विश्व के नंबर एक टी 20 और ओडीआई बॉलर थे। इससे किसी भी गेंदबाज का रिदम खराब हो जाता है। कई बार एक्शन सस्पैंड होने के बाद नरेन ने वापसी तो की, एक अलग एक्शन के साथ। फिर वैसा ही उन्होंने इंपैक्ट भी डाला। 2014 चकिंग का वो दाग जिसने उनके अच्छे खासे करियर को डिस्टर्ब किया। और आईसीसी ने 2015 में उन्हें क्लीयर तो किया, लेकिन 2018 में फिर इंटरनैशनल क्रिकेट में बॉलिंग से बैन कर दिया। वेस्टइंडीज बोर्ड ने उन्हें सपोर्ट और एक्शन सुधार का दावा किया ।लेकिन अब,जैसे ही लगा कि सब ठीक होने लगा है। नरेन 2019 वर्ल्ड कप से बाहर। फिर उनके रिश्ते अपने बोर्ड के साथ खराब हो गए। नहीं, कोई मारपीट, या गाली गलोच नहीं हुआ। बल्कि वोही पुराना इंटरनल पॉलिटिक्स जिसके परिणाम स्वरूप नरेन ने ख़ुद को पूरी तरह फ्रेंचाइजी क्रिकेट को समर्पित कर दिया। और ख़ुद को वेस्टइंडीज से दूर कर दिया। इसके बाद 2021 और 22 के वर्ल्ड कप में भी वो टीम में नहीं थे क्योंकि अपनी अवेलेबिलिटी पर अपने क्रिकेट बोर्ड को कोई संकेत नहीं दिए। 2019 के बाद से नरेन इंटरनैशनल क्रिकेट से लुप्त हो गए। नरेन अब वेस्टइंडीज के लिए खेलना ही नहीं चाहते। अब वे केवल फ्रेंचाइजी क्रिकेट और आईपीएल के ही दिग्गज बनकर रह गए। देखकर कितना दुःख होता है कि जिस बॉलर में 500–600 विकेट लेने की इतनी काबिलियत थी, इतना टैलेंट था, बल्ले से भी खूब धूम मचाने का कैलिबर था। उसने अपने टैलेंट का कैसे गला घोट दिया। फैंस के मन में आज भी उन्हें इंटरनैशनल क्रिकेट में न खेलने के फैसले से नफ़रत है। और सिर्फ फ्रेंचाइजी क्रिकेट में उनके सरेंडर करने पर मलाल है।वे आज भी लीजेंड तो हैं, पर सिर्फ़ फ्रेंचाइजी के। जो तबाही वो इंटरनैशनल क्रिकेट में मचा सकते थे,
- मोहम्मद आसिफ: एबी डिविलियर्स, केविन पीटरसन, हाशिम अमला ये क्रिकेट के वो दिग्गज हैं जिन्होंने अपनी कातिलाना बल्लेबाजी से विश्वभर में अपना लोहा मनवाया। और बड़े से बड़े गेंदबाजों को खून के आंसू रुलाने वाले ये खिलाड़ियों से जब उनका सबसे कठिन गेंदबाज पूछा गया तो सबका एक ही जवाब। मोहम्मद आसिफ। वो गेंदबाज जो सचिन, सहवाग, द्रविड़, लक्ष्मण, लारा जैसे बड़े बड़े दिग्गजों का काल था। आमतौर पर आज जो गेंदबाज 120–130 की गति से बॉलिंग करे, उसे भागता हुआ स्पिनर कहकर ट्रॉल किया जाता है। लेकिन ये गेंदबाज इसी गति पर खूंखार गेंदबाजी कर बल्लेबाजों की नाक में दम कर दिया करता था। सेम रिस्ट पोजिशन से इनस्विंग और आउटस्विंग कराने वाले आसिफ ने विश्व क्रिकेट में सनसनी मचा दी थी। और ऐसा टैलेंट न ही विश्व क्रिकेट में पहले आया था और न ही आगे आएगा। जो इतने सहज एक्शन में गज गज भर बनाना स्विंग कराया करता। गेंद मोहम्मद आसिफ से बातें करती थी,मानो एक बच्चे की तरह उनका कहना मानती थी जब कहे अंदर तो इनस्विंग और जब कहे बाहर तो बाहर निकल जाती थी। विश्व क्रिकेट के कई रिकॉर्ड्स उनके हाथों बनने थे। मात्र 23 टेस्ट में 106 विकेट यानि लगभग 5 विकेट हर मैच में। ये दर्शाता है कि विकेट की भूख किस कदर थी उन्हें। अभी तो कई पुराने रिकॉर्ड्स टूटने थे।हो सकता है कि पाकिस्तान के लीडिंग विकेट टेकर भी आज आसिफ होते। लेकिन कहते हैं ना कि लालच बहुत बड़ा ज़हर है। जो खुद को ही खत्म कर देता है। आसिफ ने तो पहले ड्रग्स लिए, वो पदार्थ जो क्रिकेट की किताब में सख्त मना हैं। डोपिंग ने तो केवल कुछ समय के लिए उन्हें सस्पैंड किया। लेकिन ,जो 2010 लॉर्ड्स टैस्ट में उन्होंने स्पॉट फिक्सिंग की,जो जान बूझकर नो बॉल डाल अपने टैलेंट की नुमाइश की, उसके लिए क्रिकेट जगत उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा। उन्होंने अपने हाथों ही अपने एक लीजेंड्री करियर का गला घोट दिया। अगर वो अपराध आसिफ न करते तो आज विश्व के ऑल टाइम गेट्स में शुमार होते।