

- वन मंडल सिंगरौली के परिक्षेत्र पश्चिम सरई का मामला
- कार्यवाहक पात्रता प्रशिक्षण के बगैर बन बैठे वन परिक्षेत्र अधिकारी
सिंगरौली-:
वन मंडल सिंगरौली वैसे तो हमेशा से कई तरह के मामलों को लेकर सुर्खियों में बना रहता है लेकिन इस बार एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक डिप्टी रेंजर को राज्य शासन द्वारा वन क्षेत्रपाल के पद पर कार्यवाहक वन क्षेत्रपाल बनाया गया लेकिन बगैर विभागीय प्रशिक्षण प्राप्त किए ही राजनीतिक गुणा गणित के चलते उन्हें तत्काल जिले के एक महत्वपूर्ण वन परिक्षेत्र का प्रभारी वन क्षेत्रपाल नियुक्त कर दिया गया जबकि नियमानुसार बगैर प्रशिक्षण प्राप्त अधिकारियों को सामान्य वन मंडल में पदस्थ ही नहीं किया जा सकता। विभागीय नियमावली के अनुसार ऐसे अधिकारियों को सामाजिक वानिकी, सीसीएफ कार्यालय, वन मंडल कार्यालय, या फिर राष्ट्रीय वन्य प्राणी में पदस्थ किया जाना चाहिए बावजूद इसके इनकी पदस्थापना जिले के एक महत्वपूर्ण वन परिक्षेत्र में किया जाना सभी के समझ से परे हो गया है।
ताजा मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य शासन द्वारा विगत तीन माह पूर्व विभागीय अधिकारियों की कमी को देखते हुए कार्यवाहक प्रणाली के तहत सिंगरौली जिले के दो डिप्टी रेंजरो को कार्यवाहक वन परिक्षेत्र अधिकारी के पद पर पदोन्नत किया गया था लेकिन इस कार्यवाहक पदोन्नति व्यवस्था की जटिलता को देखते हुए तैयार की गई विभागीय नियमावली में विधिवत उल्लेखित करते हुए तमाम नियमों के साथ यह विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है की कार्यवाहक पदोन्नति व्यवस्था से लाभान्वित होने वाले अधिकारियों को किसी भी जगह का प्रभारी अधिकारी बनने के लिए एक विभागीय इंडक्शन प्रशिक्षण बेहद आवश्यक है बगैर इस प्रशिक्षण के किसी भी अधिकारी को किसी भी वन परिक्षेत्र का प्रभारी अधिकारी नहीं बनाया जा सकता है, बगैर विभागीय परीक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त ऐसे अधिकारियों को केवल सामाजिक वानिकी, सीसीएफ कार्यालय, वन मंडल कार्यालय एवं राष्ट्रीय वन्य प्राणी अभ्यारण में पदस्थ किया जा सकता है लेकिन बावजूद इसके सिंगरौली जिले से पदोन्नति प्राप्त कार्यवाहक वन परिक्षेत्र अधिकारी बने रामावतार सिंह गौड़ को विभागीय अधिकारियों ने वन परिक्षेत्र अधिकारी पश्चिम सरई का प्रभारी अधिकारी बना दिया, इसके पीछे राजनीतिक हस्तक्षेप या फिर विभागीय अधिकारियों की कोई मजबूरी रही इसका पता नहीं लेकिन इस तरह के मामलों में विभागीय नियमावली को दरकिनार कर केवल राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए राज्य शासन की नियमावली से किया गया खिलवाड़ इन दिनों सिंगरौली से लेकर भोपाल तक के विभागीय गलियारों में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है, चर्चा यह है कि श्री सिंह को बगैर इंडक्शन प्रशिक्षण के जिले के एक बेहद संवेदनशील और सघन वन परिक्षेत्र का प्रभारी बना दिया गया, लेकिन शायद गलती का एहसास होने के बाद तत्काल उन्हें विभाग द्वारा संजय गांधी राष्ट्रीय अभ्यारण सीधी के लिए स्थानांतरित कर दिया परंतु अपने सजातीय नेता का वरद हस्त प्राप्त उक्त अधिकारी न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए एक बार फिर से यथावत वन मंडल पश्चिम सरई का प्रभारी बन बैठा है। यहां यह बताना भी बेहद आवश्यक है की रामावतार सिंह गौड़ सिंगरौली जिले का ही मूल निवासी है साथ ही उनकी पत्नी भी शिक्षा विभाग में शासकीय सेविका है किंतु उन्होंने विभाग को गुमराह करते हुए अपनी अपनी सेवा के शुरुआती समय से लेकर लगातार अपने ही गृह जिले में कार्य किया और अब अपने राजनीतिक संरक्षण की वजह से न्यायालय के आदेशों को अपनी ढाल बनाकर फिर से अपने मंसूबों में कामयाब होते दिख रहे हैं।
यहां यदि विभागीय विश्वस्त सूत्रों की बातों पर यदि गौर किया जाए तो यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है की रामावतार सिंह को उच्च पद पर पदोन्नति होने के बाद बगैर विभागीय परीक्षा और इंडक्शन प्रशिक्षण के दिया गया प्रभार विभाग की नियमावली के हिसाब से बिल्कुल गलत है यदि उन्हें पदोन्नति के बाद पदस्थापना देनी भी चाहिए तो नियमावली में स्पष्ट उल्लेखित है कि उन्हें सामाजिक वानिकी सीसीएफ कार्यालय वन मंडल कार्यालय या फिर राष्ट्रीय वन्य प्राणी अभ्यारण में पदस्थ किया जाना चाहिए जहां से विभागीय प्रशिक्षण और परीक्षा पास करने के बाद उन्हें किसी भी वन परिक्षेत्र का प्रभारी क्षेत्रपाल नियुक्त किया जा सकता था लेकिन यहां विभागीय अधिकारियों ने विभाग की नियमावली को ही ताक पर रख दिया और पहले सरई वन परिक्षेत्र में पदस्थापना देने के बाद ही तत्काल उन्हें संजय गांधी वन्य प्राणी अभ्यारण के लिए स्थानांतरित कर दिया लेकिन फिर श्री सिंह ने न्यायालय आदेश का हवाला देते हुए अपनी पदस्थापना यथावत करवा ली लेकिन अब यह मामला एक बार फिर विभागीय अधिकारियों के गले की हड्डी बनता जा रहा है क्योंकि रामावतार सिंह का ग्रह ग्राम वन परिक्षेत्र सरई से लगा हुआ बासी बिरदह है । इन्हीं के साथ विभागीय पदोन्नति प्राप्त एक अन्य कार्यवाहक वन क्षेत्रपाल रामसजीवन जायसवाल को तत्काल जिले से अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया इसी आधार पर राम सजीवन जायसवाल ने न्यायालय की शरण ली है उन्होंने न्यायालय से गुजारिश की है की जब कार्यवाहक प्रशिक्षण प्राप्त मैं जिले से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया हूं तो ऐसे में बगैर विभागीय प्रशिक्षण एवं परीक्षा के रामावतार सिंह गोंड को जिले के एक अत्यंत संवेदनशील और सघन वन परिक्षेत्र का अधिकारी क्यों बना के रखा गया है। एक साथ कार्यवाहक पदोन्नति होने वाले इन दोनों अधिकारियों के मामलों के सामने आने के बाद सिंगरौली जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगे हैं अब देखना यह होगा की जिले के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले को किस तरह से सुलझाते हैं।। - यह मामला मेरे अधिकार क्षेत्र के बाहर है: डीएफओ
इस बेहद गंभीर और संवेदनशील मामले में जब जिले के वन मंडल अधिकारी अखिल बंसल से दूरभाष पर जानकारी चाही गई तो उन्होंने चर्चा में यह बताया कि इस मामले में आपको विभागीय मुख्यालय भोपाल से बात करने की आवश्यकता है क्योंकि यह मामला मेरे अधिकार क्षेत्र में ही नहीं है
DFO akhil bansal